राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से बिगड़े हालात, 700 से अधिक ऑपरेशन टले; कब सुधरेंगे हालात
जयपुर: राजस्थान में मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में हालात बिगड़ गए हैं। हड़ताल के तीसरे दिन मंगलवार को प्रदेश भर में 700 से अधिक ऑपरेशन नहीं हो सके । जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS) में करीब एक सौ ऑपरेशन नहीं हुए, जो मंगलवार को होने निर्धारित थे।
अति आवश्यक ऑपरेशन वरिष्ठ चिकित्सक कर रहे हैं। रात्रि में भी अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सक ही मरीजों को संभाल रहे हैं। रेजिडेंट चिकित्सक एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. दिलराज मीणा ने कहा कि सरकार सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रही है। अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं।
महिला चिकित्सकों के लिए नहीं है कोई प्राइवेट रूम
महिला चिकित्सकों के लिए विश्राम करने और कपड़े बदलने के लिए कोई प्राइवेट कमरे नहीं हैं। अधिकतर अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे खराब हालत मे है जो काम ही नहीं करते हैं। इस बीच सरकार ने वरिष्ठ चिकित्सकों को सामान्य वार्ड, आपातकालीन इकाई और ICU में तैनात किया है।
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने अधिकारियों व वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ हड़ताल से निपटारे को लेकर चर्चा की है। इस बीच कोटा में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल पर नहीं जाने का फैसला लिया। सोमवार को यहां के रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर नहीं गए थे। उन्होंने ऐसे में हड़ताल का समर्थन नहीं करने का फैसला लिया है।
बता दें कि सवाई माधोपुर के परशुराम मीना (56) किडनी के ऑपरेशन के लिए SMS अस्पताल आए थे, लेकिन उन्हें डॉक्टर से अपॉइंटमेंट नहीं मिल सका।
हड़ताली डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने की विनती
हालांकि राज्य सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने का आग्रह किया है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें सरकार से कोई आश्वासन नहीं मिला है।
जयपुर एसोसिएशन फॉर रेजिडेंट डॉक्टर्स (JARD) के मीडिया सलाहकार डॉ. साकेत धाधीच ने कहा, 'हम हड़ताल जारी नहीं रखना चाहते क्योंकि हम जानते हैं कि मरीजों को किस समस्या का सामना करना पड़ता है।'
50 डॉक्टर्स की ड्यूटी वार्डों में लगे, तब कंट्रोल में आए व्यवस्था
सरकार ने जयपुर के SMS मेडिकल कॉलेज में कल जिन 50 डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई है। जिससे स्थिति थोड़ा पहले से ज्यादा कंट्रोल में आई है, जबकि हड़ताल का सबसे ज्यादा प्रभाव वहीं देखने को मिल रहा है।
दिन के समय OPD और वार्डों में फेकल्टी और दूसरे जूनियर डॉक्टर्स के उपलब्ध रहने के कारण इतनी समस्या नहीं रहती, लेकिन शाम और रात में रेजिडेंट्स के नहीं होने से परेशानी बढ़ जाती है।