पूरा होने वाला है भारत का सबसे बड़ा सपना, रिपोर्ट देख हैरान हो जाएगा चीन, पाकिस्तान तो बराबरी की सपने में भी सोच नहीं सकता ।
भारत इस समय दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि भारत वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
नई दिल्ली. भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही। एजेंसी ने हालांकि कहा कि बढ़ती जनसंख्या बुनियादी सेवा का दायरा बढ़ाने में बढ़ती चुनौतियों को प्रस्तुत करती है और उत्पादकता बनाए रखने के लिए निवेश की बढ़ती जरूरतें भी सामने आती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की अगले दशक और उससे आगे के लिए उच्च महत्वाकांक्षाएं हैं। वर्तमान में 3.6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था:
एसएंडपी ने कहा, “भारत अगले तीन साल में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और 2030 तक वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। निवेश बैंकिंग कंपनी जेपी मॉर्गन के ‘सरकारी उभरते बाजार बॉन्ड सूचकांक’ में 2024 में इसका प्रवेश अतिरिक्त सरकारी वित्तपोषण प्रदान कर सकता है और घरेलू पूंजी बाजारों में महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुंच बना सकता है।
एसएंडपी ने अपनी ‘उभरते बाजारों पर भविष्य की नजर: एक निर्णायक दशक’ रिपोर्ट में कहा कि उभरते बाजार अगले दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जहां 2035 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वृद्धि दर 4.06 % रहेगी, वहीं विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह दर 1.59 % रहेगी।
भारत से पीछे रहेंगे ये देश:
साल 2035 तक उभरते बाजार वैश्विक आर्थिक वृद्धि में लगभग 65 % का योगदान देंगे। इस वृद्धि में मुख्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का योगदान होगा। इनमें चीन, भारत, वियतनाम और फिलिपीन शामिल हैं।
एसएंडपी ने कहा, “इसके अलावा, 2035 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो जाएगा, जबकि इंडोनेशिया और ब्राजील क्रमशः 8वें और 9वें स्थान पर होंगे।” इसमें कहा गया है कि भारत ने अपने पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर अपने कमजोर राजकोषीय क्षमता को सुधारने के लिए भी कदम उठाए हैं, जिससे दीर्घकालिक वृद्धि को और अधिक समर्थन मिलेगा।